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नई दिल्ली, 7 जनवरी (चेतना न्यूज़)| राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में शुक्रवार को विश्व पुस्तक मेले का शुभारंभ हुआ। राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर यशस्वी कवि केदारनाथ सिंह ने अपनी पुस्तक 'प्रतिनिधि कविताएं' में से कुछ कविताएं पाठकों को सुनाईं और उनसे बातचीत की। सहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता कवि ने कहा कि कविताओं की दुनिया एक ऐसी दुनिया है, जिसमें रंग, रोशनी, रूप, गंध, दृश्य एक-दूसरे में खो जाते हैं, पर यही दुनिया है, जिसमें कविता का 'कमिटमेंट' खो जाता है। 

लेखिका अनीता राकेश ने अपनी किताब 'अंतिम सतरें' के संदर्भ में पाठकों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने जितना अपने बीते समय का अवलोकन किया है, उतने ही चित्र अपने वर्तमान से भी प्रस्तुत किए हैं। 

अपने पति प्रसिद्ध कथाकार व नाटककार मोहन राकेश को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बीते दिनों की यादों में जहां राकेश के साथ हुईं कुछ झड़पें उन्हें याद आती हैं, वहीं राकेश के माताजी के साथ गुजरे अपने सबसे पूर्ण और सबसे नम क्षणों को भी याद करती हैं। 

राजकमल प्रकाशन इस मेले में पहली बार ऑडियो बुक 'अब सुनिए किताबें' लेकर आया है। अगर आप किताबें पढ़ने के बजाय सुनना चाहते हैं, तो यह सुविधा 2000 रुपये से अधिक की किताबों की खरीद पर स्टोरीटेल ऑडियो बुक मुफ्त पा सकते हैं।

एक हफ्ते तक चलने वाले विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन द्वारा 50 से अधिक किताबों का लोकार्पण होगा, जिनमें सुभाष चंद्र कुशवाहा की नई किताब 'अवध का किसान विद्रोह', विवेक अग्रवाल की बॉम्बे की बारबालाओं की जिंदगी को सामने ला रही किताब 'बॉम्बे बार', ज्यां द्रेज और अमर्त्य सेन की किताब 'एन अनसर्टेन ग्लोरी : इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन' का हिंदी अनुवाद 'भारत और उसके विरोधाभास' भी शामिल हैं।

अजय सोडानी की हिमालय-यात्रा श्रृंखला की दूसरी किताब 'दरकते हिमालय पर दरबदर', लोकप्रिय उपन्यास 'माई' की लेखिका गीतांजलिश्री का नया उपन्यास 'रेत समाधि', रामशरण जोशी की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा 'मैं बोनसाइ अपने समय का' और साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास 'कलिकथा वाया बायपास' की विख्यात लेखिका अलका सरावगी का एक और दिलचस्प उपन्यास 'एक सच्ची-झूठी गाथा' भी पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगा।

इनके अलावा राष्ट्रवाद के तीखे मुद्दे पर जेएनयू में हुए तेरह व्याख्यानों का संकलन रविकांत द्वारा संपादित किताब 'आज के आईने में राष्ट्रवाद' नाम से आएगा। शिवरतन थानवी का डायरी संकलन 'जग दर्शन का मेला' एक सजग शिक्षक के नजरिये से शिक्षा के वास्तविक आशय, मूल्यबोध और व्यावहारिक समस्याओं से परिचय कराती है। 

शंखा घोष की गूढ़ कविताओं का संकलन 'मेघ जैसा मनुष्य', ज्ञान चतुर्वेदी का मार्मिक उपन्यास 'पागलखाना', शीतांशु की गहन शोध के बाद लिखी गई किताब 'कम्पनी राज और हिंदी' भी पुस्तक मेले में लोकार्पित होंगी।

राजकमल प्रकाशन ने अपने किताबों का कस्बा प्रगति मैदान के हॉल नंबर-12। स्टॉल नंबर 247 से 268 में बसाया है। राजकमल के इस खूबसूरत कस्बे में आप किस्सों-कहानियों, यादों-तरानों के साथ किताबों की बस्ती के कुछ खास बाशिंदों से भी मिल पाएंगे।

खास बात यह कि थीम के हिसाब से पर्यावरण की सभी किताबों पर 25 प्रतिशत छूट दी जा रही है। साथ ही कुछ चुनिंदा किताबों पर एक के साथ एक किताब फ्री भी दी जा रही है। साथ ही कुछ बेहतरीन सेल्फी पॉइंट का भी इंतजाम किया है।


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