Sita Navami 2024: कब है सीता नवमी? इस विधि से करें मां सीता और भगवान राम की पूजा

सीता जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 16 मई, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि देवी सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था। देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सीता जयंती राम नवमी के एक महीने बाद आती है।माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं। इसलिए इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक यज्ञ करने के लिए भूमि जोत रहे थे तो उन्हें स्वर्ण मंजूषा में एक बच्ची मिली। जमीन जोतते समय खेत के अंदर सोने की डिबिया मिली। जोती हुई भूमि को सीता कहा जाता है इसलिए राजा जनक ने उस बच्ची का नाम सीता रखा। सीता नवमी के दिन इस विधि से करें मां सीता और प्रभु श्रीराम की पूजा।सीता नवमी पूजा के लिए सामग्री क्या है?- दीपक- धूप-रोली, चंदन, अक्षत-फूल-पंचामृत-नैवेद्य-पान, सुपारी-जल-घंटी-शंख-आरती की थाली-कपूर-कलावासीता नवमी की पूजा विधि- सीता नवमी के दिन सुबह जल्दी उठाकर स्नान करें।- पूजा स्थान को साफ और शुद्ध करें।- देवी-देवताओं को प्रतिमाओं को स्थापित करें।- दीपक जलाएं और धूप जलाएं।- देवी-देवताओं को रोली, चंदन, अक्षत और सुगंधित फूल अर्पित करें।- पंचामृत से स्नान कराएं।- नैवेद्य अर्पित करें।- इसके बाद पान, सुपारी और जल अर्पित करें।- घंटी और शंख बजाएं।- मंत्रों को जाप करें।- इस दिन प्रभु श्रीराम की विधिवत पूजा करें। इसी वजह से इस दिन माता सीता के दिन श्रीराम जी की भी पूजा करें।इन मंत्रो का करें जापसीता नवमी के दिन माता-सीता के मंत्रों के जाप करने से बेहद लाभ मिलता है। इससे जातकों के सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है। साथ ही सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति हो सकती है।- सीता मंत्र: - ॐ जय जय सीतारामे-राम सीता मंत्र: - ॐ राम सीताय नमः-पतिव्रता मंत्र: - ॐ पतिव्रताय नमः-सीता रक्षा स्तोत्र: - ॐ जय जय रघुवीर समर्थ

May 13, 2024 - 10:55
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Sita Navami 2024: कब है सीता नवमी? इस विधि से करें मां सीता और भगवान राम की पूजा
सीता जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 16 मई, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि देवी सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था। देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सीता जयंती राम नवमी के एक महीने बाद आती है।
माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं। इसलिए इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक यज्ञ करने के लिए भूमि जोत रहे थे तो उन्हें स्वर्ण मंजूषा में एक बच्ची मिली। जमीन जोतते समय खेत के अंदर सोने की डिबिया मिली। जोती हुई भूमि को सीता कहा जाता है इसलिए राजा जनक ने उस बच्ची का नाम सीता रखा। सीता नवमी के दिन इस विधि से करें मां सीता और प्रभु श्रीराम की पूजा।
सीता नवमी पूजा के लिए सामग्री क्या है?
- दीपक
- धूप
-रोली, चंदन, अक्षत
-फूल
-पंचामृत
-नैवेद्य
-पान, सुपारी
-जल
-घंटी
-शंख
-आरती की थाली
-कपूर
-कलावा
सीता नवमी की पूजा विधि
- सीता नवमी के दिन सुबह जल्दी उठाकर स्नान करें।
- पूजा स्थान को साफ और शुद्ध करें।
- देवी-देवताओं को प्रतिमाओं को स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
- देवी-देवताओं को रोली, चंदन, अक्षत और सुगंधित फूल अर्पित करें।
- पंचामृत से स्नान कराएं।
- नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद पान, सुपारी और जल अर्पित करें।
- घंटी और शंख बजाएं।
- मंत्रों को जाप करें।
- इस दिन प्रभु श्रीराम की विधिवत पूजा करें। इसी वजह से इस दिन माता सीता के दिन श्रीराम जी की भी पूजा करें।
इन मंत्रो का करें जाप
सीता नवमी के दिन माता-सीता के मंत्रों के जाप करने से बेहद लाभ मिलता है। इससे जातकों के सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है। साथ ही सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति हो सकती है।
- सीता मंत्र: - ॐ जय जय सीतारामे
-राम सीता मंत्र: - ॐ राम सीताय नमः
-पतिव्रता मंत्र: - ॐ पतिव्रताय नमः
-सीता रक्षा स्तोत्र: - ॐ जय जय रघुवीर समर्थ

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