300 रुपए में मिल सकता है गैस सिलेंडर - जाने केसे.

Jul 5, 2024 - 19:51
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300 रुपए में मिल सकता है गैस सिलेंडर -  जाने केसे.

300 रुपए में मिल सकता है गैस सिलेंडर - वितरण कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली को तत्काल लागू करे - घरेलू गैस सिलेंडर सतर्कता जनजागृति अभियान अंतर्गत आयोजित प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दी जानकारी देवास 5 जुलाई (चेतना न्यूज) भोजन बनाने के लिए उपयोग में आने वाली गैस का होटल व्यवसाय, ऑटो रिक्शा और एलपीजी गैस वाहनों के लिए डंके की चोट पर उपयोग होने से गैस सिलेंडर की कीमत 850 से 900 रुपए तक पहुंच गई है। गैस सिलेंडर का केवल घरेलू उपयोग होने पर 300 रुपए के लगभग मिल सकता है। इसके लिए सरकार को सिलेंडर वितरित करने वाली कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली कार्यान्वित करने का निर्देश देना होगा। ऐसा दावा ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने किया है। घरेलू गैस सिलेंडर सतर्कता जनजागृति अभियान के अंतर्गत संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन सोळंके ने चामुण्डा काम्पलेक्स पर आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए गैस सिलेंडर वितरण के बारे विस्तृत जानकारी दी। पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ सम्पर्क अधिकारी अनिकेत मिश्रा, सदिप गुप्ता, राज्य समन्वयक पायल मानकर आदि उपस्थित थे। श्री सोळंके ने कहा कि देश में भोजन बनाने के लिए 75 प्रतिशत नागरिक घरेलू गैस और 20 प्रतिशत नागरिक चूल्हे का उपयोग करते हैं। केवल 5 प्रतिशत नागरिक बिजली पर चलने वाले इंडक्शन का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं. ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा करता है कि जिले में करीबन 260 होटल है। इससे सरकार का 1 से 2 करोड़ रुपए का राजस्व डूब रहा है। देश में यह आंकड़ा करोड़ों में है। गैस वितरित करने वाली कंपनियां व्यवसायियों को आसानी से घरेलू गैस बेच रही हैं। सभी व्यक्ति के लिए एक साल में 12 सिलेंडर निश्चित किए हैं, लेकिन कई लोग 5 से 7 सिलेंडर का ही उपयोग करते हैं। शेष गैस सिलेंडर को वितरक बेच रहे हैं। सॉफ्टवेयर के माध्यम से सेटिंग करने से उसका मैसेज नहीं आता है। घरेलू सिलेंडरों का अवैध इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि जीडीकेएफ के सर्वे में ये चौंकाने वाली बात सामने आ रही है। विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि 60 प्रतिशत घरेलू सिलेंडरों का उपयोग अवैध रूप से व्यावसायिक स्थानों पर किया जा रहा है और इसमें सीधे 14.2 किग्रा. सिलेंडर का उपयोग 35 प्रतिशत है, जबकि 16 किग्रा. या फिर दूसरे कमर्शियल सिलेंडरों में क्रूड बिल का 25 फीसदी हिस्सा ट्रांसपोर्ट के जरिए खतरनाक तरीके से घुमाकर बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है। देश में एलपीजी वाहनों में घरेलू सिलेंडर का भी खतरनाक तरीके से उपयोग किया जा रहा है। ऑटो एलपीजी वाहन की दैनिक खपत की तुलना में 70 प्रतिशत वाहन चालक इलेक्ट्रिक मोटर पंप की मदद से घरेलू सिलेंडर में बेहद खतरनाक तरीके से एलपीजी भरते हैं। इससे बड़े हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन, ऑटो एलपीजी पंपों से सिर्फ 30 फीसदी अधिकृत एलपीजी ही बेची जा रही है। वाहनों की कुल संख्या अनुमानित 2.38 मिलियन है और हर दिन नए एलपीजी वाहन बढ़ रहे हैं। क्योंकि एलपीजी एक सुरक्षित, गैर-प्रदूषणकारी ईंधन है जो पेट्रोल और डीजल से सस्ता है। आज ऑटो एलपीजी 52 रु से 55 रु.रुपये प्रति लीटर बिकता है और इसका माइलेज भी अच्छा है। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज यह टैंकरों से सीधे एलपीजी गैस ले रहा है और इसे 15 प्रतिशत सिलेंडरों में भरा जा रहा है, यह बहुत खतरनाक है। पिछले 10 वर्षों में इसके कारण राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। इसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भी निजी नुकसान हुआ हैं और लोगों की जान भी गई हैं। फिर भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है और केवल अस्थायी कार्रवाई की जा रही है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 2014 से अब तक लगभग 6.58 करोड़ लोगों को 100 रुपये के शुल्क के साथ एलपीजी सिलिंडर दिए गए हैं तथा एलपीजी सिलेंडर की खरीदी पर बडी मात्रा में छूट भी दी जा रही हैं। लेकिन, अक्सर उज्वला लाभार्थी को पूरे 12 सिलिंडर लेता दिखाई नही देता। डिस्ट्रीब्यूटर (डीलर, वितरक) इसका दुरुपयोग कर फायदा उठा रहे हैं। इसलिए इस योजना को झटका लगा है। जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन का ध्यान न होने की वजह सें सेल्स अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा अवैध एलपीजी डायवर्जन का काम चल रहा है। एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि पिछले 5 साल में एलपीजी सिलेंडर से हादसों की 5131 घटनाएं हुई हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री राजेश्वर तेली ने असम में मंगलदोई लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद दिलीप सैकिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में कहा था कि एलपीजी से जुड़ी सभी दुर्घटनाओं की जांच सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा की जाती है। उपभोक्ताओं के गैस सिलेंडर की चोरी रोकने के लिए बारकोड, क्यूआर कोड और आरएफआईडी टैग लगाना जरूरी है। बिक्री, पैकेज ट्रैकिंग की सुविधा जरूरी है। ट्रैक एण्ड ट्रेस के लिए क्यूआर कोड आवश्यक है। धान्य वितरण प्रणाली की तरह गैस वितरण प्रणाली शुरू करने की आवश्यकता है।

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